Published On:07 January 2011
Posted by Indian Muslim Observer
बाबरी मस्जिद विवादस्पद स्थल पर बौद्धों ने दायर की याचिका
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में दायर एक विशेष अनुमति याचिका में दावा किया गया है कि बाबरी मस्जिद के स्थान पर एक बौद्ध विहार मौजूद था और इसलिए अयोध्या के विवादास्पद स्थल को इस धर्म के मतावलंबियों को दे दिया जाना चाहिए।
बौद्ध एजुकेशन फाउंडेशन और अखिल भारतीय अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति संगठनों के संघ के अध्यक्ष उदित राज ने अयोध्या के स्वामित्व को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ के फैसले के जवाब में कल यह याचिका दायर की। राज ने एक संवाददाता सम्मेलन में यह जानकारी देते हुए कहा, 'भारत में रह रहे बौद्ध फैसले की वैधता और संवैधानिकता को चुनौती देते हैं। न केवल विवादित स्थल बल्कि बाबरी मस्जिद के निर्माण से पहले यह पूरा स्थल एक बौद्ध विहार था।'
इस मौके पर राज के साथ उपस्थित पूर्व केंद्रीय मंत्री और भारतीय जनशक्ति पार्टी के नेता संघप्रिय गौतम ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए इस तर्क का समर्थन करने का आग्रह किया।
गौतम ने कहा, 'न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल ने कहा कि विवादित स्थल के कसौटी स्तंभ वाराणसी में मौजूद बौद्ध स्तंभों के समान हैं। न्यायमूर्ति एस यू खान ने कहा कि ब्रिटिश पुराविद कारनेजी ने कहा था कि मस्जिद के निर्माण में इस्तेमाल किए गए कसौटी स्तंभ उन बौद्ध स्तंभों के समान हैं जिन्हें उन्होंने वाराणसी में देखा है।'
उन्होंने कहा, 'इसलिए यह संभव है कि उस स्थल पर या उसके आस पास किसी बौद्ध धार्मिक स्थल के अवशेष रहे हों जहां मस्जिद का निर्माण किया गया था और इसकी कुछ सामग्री का इस्तेमाल मस्जिद के निर्माण में किया गया हो।' राज ने कहा कि अपनी रिपोर्ट में भारतीय पुरातत्व सर्वे ने 2003 में कहा था कि सर्वे ने विवादित स्थल के नीचे एक गोलाकार पूजास्थल पाया जिसके बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उससे और सबूत जुटाने को कहा था।
राज ने कहा, 'अब तक ऐसा नहीं किया गया है। इस बात की सर्वाधिक संभावना है कि यह बौद्धों का मठ है। मस्जिद का निर्माण बौद्ध विहार के अवशेषों पर किया गया है और इसलिए इसे बौद्धों को दिया जाना चाहिए।'
उन्होंने कहा कि भारतीय पुरातत्व सर्वे ने कहा है कि विशालकाय संरचना के साथ स्तंभों के आधार उन अवशेषों का संकेत देते हैं जो उत्तर भारत के मंदिरों की खास पहचान हैं।